कर्म भूमि है तपोवन मेरा
कर्मभूमि तपोवन मेरा
गीता ने हमें ज्ञान सिखाया,
भले बुरे का मर्म बताया।
कर्म करते मिले न कुछ भी,
बिनकर्म उदासीन जग समझाया।
लिया जन्म जब तुमने वसुधा पर,
कर्म करना होगा यहां निरंतर।
सृष्टि का रचयिता तुमसे कहता,
कर्मभूमि तपोवन तेरा।
कर्म की भट्टी में तपकर,
मन को अपने कुंदन कर।
पुरखों ने जो रहा दिखाई,
उस पर सदा संभल कर चल।
पंचतत्व से बनी यह काया,
ईश कृपा से जग में आया।
सबको अपना करके चलना,
सपने पूरे करे मिल भाया।
शुभ चिंतन मन करता चल,
कर्मों में तू रमता चल।
कर्म ही है जीवन का सार,
कर्मभूमि तपोवन आधार।।
रचनाकार ✍️
मधु अरोरा
19.4.2023
ऋषभ दिव्येन्द्र
21-Apr-2023 01:46 PM
बहुत ही सुन्दर
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Punam verma
21-Apr-2023 06:43 AM
Very nice
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
21-Apr-2023 06:20 AM
खूबसूरत भाव और अभिव्यक्ति
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